Eid Ul Adha ईद-उल-अजहा या बकरीद इस्लाम धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे “त्याग का पर्व” भी कहा जाता है क्योंकि यह पैगंबर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की अल्लाह के प्रति वफादारी और बलिदान को याद करता है।
यह पर्व इस्लामी पंचांग के अनुसार धुल-हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। यह हज यात्रा के पूरा होने के बाद आता है और दुनिया भर के मुसलमान इसे कुर्बानी देकर मनाते हैं।
🧾 इतिहास: क्यों मनाई जाती है बकरीद?
बकरीद की शुरुआत एक अत्यंत भावनात्मक और ऐतिहासिक घटना से जुड़ी हुई है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, पैगंबर इब्राहीम (अ.स.) को अल्लाह ने सपना दिया था कि वे अपने सबसे प्रिय पुत्र इस्माईल (अ.स.) की कुर्बानी दें।
इब्राहीम ने अल्लाह के हुक्म को बिना सवाल माने स्वीकार किया और अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए। लेकिन जब उन्होंने यह करने की कोशिश की, तो अल्लाह ने उनकी सच्ची नीयत देखकर उनके बेटे को एक मेमने (दुम्बा) से बदल दिया।
यह घटना यह दर्शाती है कि अल्लाह इंसान के दिल की नीयत को देखता है, और सच्चे ईमान और त्याग को सर्वोपरि मानता है।
🙏 धार्मिक महत्व: कुर्बानी क्यों दी जाती है?
ईद-उल-अजहा का मुख्य संदेश है:
- अल्लाह के प्रति समर्पण
- त्याग और बलिदान की भावना
- जरूरतमंदों की मदद करना
इस दिन मुसलमान जानवरों (जैसे बकरा, दुम्बा, ऊंट आदि) की कुर्बानी देते हैं और उसका मांस तीन भागों में बांटते हैं:
- एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है
- दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और पड़ोसियों को
- तीसरा हिस्सा स्वयं के लिए रखा जाता है
इस तरह यह त्यौहार समाज में एकता, दया और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।
🕌 बकरीद 2025 में कब है?
ईद-उल-अजहा 2025 की तारीख चांद की स्थिति पर निर्भर करती है, लेकिन संभावित रूप से यह 6 जून 2025 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। अंतिम तिथि चांद देखने के बाद तय की जाती है।
🕋 हज यात्रा और बकरीद का संबंध
बकरीद का एक गहरा संबंध हज से भी है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और यह हर सक्षम मुस्लिम पर जीवन में एक बार फर्ज है।
हज यात्रा के अंतिम दिन, मुसलमान मीना के मैदान में कुर्बानी देते हैं, और उसी दिन दुनिया भर में बकरीद मनाई जाती है।
🎊 बकरीद की परंपराएं
बकरीद की सुबह:
- घुस्ल (स्नान) किया जाता है
- नए कपड़े पहने जाते हैं
- ईद की विशेष नमाज़ अदा की जाती है
- फिर होती है कुर्बानी
- मांस को लोगों में बांटा जाता है
- ईद की दावतें होती हैं और सभी एक-दूसरे को “ईद मुबारक” कहते हैं
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🕌 ईद-उल-अजहा की नमाज़ का तरीका (Eid ul Adha Ki Namaz Ka Tarika)
ईद-उल-अजहा की नमाज़, इस्लाम में एक खास इबादत है जो केवल साल में दो बार पढ़ी जाती है—ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अजहा के दिन। यह नमाज़ खास तरीके से पढ़ी जाती है, जो सामान्य नमाज़ से थोड़ी अलग होती है।
✅ नमाज़ का समय:
- ईद-उल-अजहा की नमाज़ सूरज निकलने के लगभग 20 मिनट बाद से लेकर जुहर से पहले तक अदा की जाती है।
- इसे जमात (समूह) में पढ़ना सुन्नत है और अकेले पढ़ना तभी होता है जब कोई मजबूरी हो।
🧎♂️ ईद-उल-अजहा की नमाज़ कैसे पढ़ें (Step-by-Step Tarika):
- नियत (Niyyat):
– सबसे पहले मन में यह नीयत करें:
“मैं दो रकात वाजिब नमाज़ ईद-उल-अजहा अल्लाह के लिए पढ़ता हूँ, 6 तकबीरों के साथ, मेरे पीछे वाले इमाम के साथ।” - पहली रकात:
- इमाम “अल्लाहु अकबर” कहकर नमाज़ शुरू करेगा, आप भी पीछे कहें।
- इसके बाद इमाम तीन बार अतिरिक्त तकबीर (अल्लाहु अकबर) कहेगा, हर बार हाथ कान तक उठाकर छोड़ देना है (सादे तौर पर हाथ साइड में छोड़ें)।
- चौथी बार की तकबीर के बाद इमाम क़िरात करेगा (सूरह फातिहा + दूसरी सूरह)
- फिर रुकू और सजदा करके दूसरी रकात में खड़े होंगे।
- दूसरी रकात:
- इमाम पहले क़िरात करेगा (सूरह फातिहा + दूसरी सूरह)
- इसके बाद फिर तीन बार अतिरिक्त तकबीरें होंगी, हर बार हाथ उठा कर छोड़ना है।
- चौथी बार की तकबीर के साथ रुकू में जाना है।
- फिर सजदा और अंत में तशह्हुद पढ़कर सलाम फेर देना है।
📣 नमाज़ के बाद क्या करें?
- नमाज़ के तुरंत बाद ख़ुतबा (भाषण) दिया जाता है।
- यह सुन्नत है कि लोग बैठकर पूरा ख़ुतबा सुनें।
- ख़ुतबे के बाद लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और “ईद मुबारक” कहते हैं।
🧠 ध्यान देने योग्य बातें:
- ईद की नमाज़ से पहले और बाद में कोई अज़ान या इक़ामत नहीं होती।
- यह नमाज़ खुले मैदान या बड़ी मस्जिद में अदा करना बेहतर माना जाता है।
- नमाज़ के बाद ही कुर्बानी देना सुन्नत है।
🧠 क्या सिखाता है हमें ईद-उल-अजहा?
ईद-उल-अजहा सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, यह हमें जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बातें सिखाता है:
- अपने स्वार्थ को छोड़कर दूसरों की मदद करना
- अल्लाह के आदेशों का पालन करना
- गरीबों और ज़रूरतमंदों के प्रति करुणा
- धैर्य और सच्चे दिल से इबादत
🏁 निष्कर्ष
ईद-उल-अजहा 2025 केवल कुर्बानी का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह ईमान, वफादारी, इंसानियत और दया की सीख है। इस पावन अवसर पर हम सबको चाहिए कि हम भी अपने जीवन में त्याग, सेवा और प्रेम को अपनाएं।
आप सभी को ईद-उल-अजहा की दिल से मुबारकबाद! 🌙🐐
“Eid Mubarak to You and Your Family!”
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