Dr Shyama Prasad Mukherjee: जम्मू-कश्मीर का विकास उनके संकल्पों की ऐतिहासिक जीत है – CM योगी in 2025

Dr Shyama Prasad Mukherjee

Dr Shyama Prasad Mukherjee: एक भारत, एक विधान के स्वप्नदृष्टा की जयंती पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि

Dr Shyama Prasad Mukherjee की जयंती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लखनऊ स्थित सिविल अस्पताल परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का जीवन राष्ट्र सेवा, शिक्षा, औद्योगीकरण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। उनकी सोच और सिद्धांत आज के भारत की नींव बन चुके हैं।


Dr Shyama Prasad Mukherjee का जीवन परिचय

Dr Shyama Prasad Mukherjee का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था। वे महज 33 वर्ष की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने। वे एक महान शिक्षाविद, प्रखर वक्ता और सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और बाद में भारतीय राजनीति में नए आदर्श स्थापित किए।


Dr Shyama Prasad Mukherjee और धारा 370

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाकर Dr Shyama Prasad Mukherjee के उस संकल्प को पूरा किया है, जिसमें उन्होंने कहा था — “एक देश में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे।”

डॉ. मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम और विशेष प्रावधानों का पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।


Dr Shyama Prasad Mukherjee और औद्योगिक आत्मनिर्भरता

डॉ. मुखर्जी ने भारत के पहले खाद्य एवं उद्योग मंत्री के रूप में जो आधारशिला रखी, वही आज के आत्मनिर्भर भारत की नींव है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि Dr Shyama Prasad Mukherjee ने देश को यह बताया कि खाद्यान्न आत्मनिर्भरता कैसे हासिल की जा सकती है।

कोविड-19 महामारी के समय 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज वितरण उसी दूरदर्शी सोच का परिणाम है। यह नीति आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जारी है, जिससे करोड़ों गरीबों को राहत मिली।


Dr Shyama Prasad Mukherjee का राजनीतिक साहस

Dr Shyama Prasad Mukherjee ने उस समय की नेहरू सरकार की तुष्टिकरण नीति का विरोध करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। यह निर्णय उनकी सिद्धांतवादी राजनीति का परिचायक था। उन्होंने सत्ता को नहीं, बल्कि राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी।

डॉ. मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनी। आज जो भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी है, उसमें Dr Shyama Prasad Mukherjee के विचारों की गहरी छाप है।


Dr Shyama Prasad Mukherjee और राष्ट्रवाद

डॉ. मुखर्जी का जीवन राष्ट्रवाद का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी देश को नई दिशा दी। उन्होंने हमेशा एक भारत की बात की — एक ऐसा भारत जो धर्म, जाति, भाषा के आधार पर विभाजित न हो।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज भारत निवेश के लिए दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बन रहा है। यह विकास Dr Shyama Prasad Mukherjee जैसे राष्ट्रनायकों की दूरदर्शिता और नीतियों का ही परिणाम है।


Dr Shyama Prasad Mukherjee के योगदान की आज भी प्रासंगिकता

  • उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो सुधार किए, वह आज भी मार्गदर्शक हैं।
  • आत्मनिर्भरता के विचार को साकार रूप दिया।
  • औद्योगिक विकास की नींव रखी।
  • जम्मू-कश्मीर को भारत की मुख्यधारा में लाने का संकल्प लिया।

उनकी सोच आज के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।


श्रद्धांजलि समारोह में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लखनऊ के महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक पंकज सिंह, एमएलसी मुकेश शर्मा, पूर्व सांसद बनवारी लाल कंछल और भाजपा के कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। सभी ने Dr Shyama Prasad Mukherjee की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।


निष्कर्ष

Dr Shyama Prasad Mukherjee का जीवन, विचार और बलिदान आज भी करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने जो स्वप्न देखा — एक संविधान, एक प्रधान और एक भारत — वह आज साकार हो चुका है।

उनकी नीतियां आज के भारत के औद्योगिक, सामाजिक और राजनीतिक ढांचे की आधारशिला हैं। राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाले इस महानायक को उनकी जयंती पर पूरे देश की ओर से नमन।

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