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CM Kejriwal Jail Decisions: ले चुके? बीजेपी ने उठाया सवाल, विधानसभा विशेष सत्र की मांग

CM Kejriwal Jail Decisions

CM Kejriwal Jail Decisions पर भाजपा का सवाल: विधानसभा विशेष सत्र बुलाने की मांग तेज

दिल्ली की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। CM Kejriwal Jail Decisions को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीधा हमला बोला है। भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल पांच महीने से जेल में रहते हुए भी मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं और जेल से ही सरकार चला रहे हैं। इस पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता समेत अन्य भाजपा विधायकों ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।


CM Kejriwal Jail Decisions को लेकर क्यों उठे सवाल?

भाजपा विधायकों का कहना है कि पिछले पांच महीनों में न कोई कैबिनेट बैठक हुई है और न ही विधानसभा का सत्र बुलाया गया है। इस दौरान सरकार किस तरह से काम कर रही है, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

CM Kejriwal Jail Decisions को लेकर भाजपा का तर्क है कि मुख्यमंत्री अगर जेल में रहते हुए फैसले ले रहे हैं, तो उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। वहीं अगर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो यह शासन व्यवस्था में एक बड़ा शून्य दर्शाता है।


राष्ट्रपति को सौंपा गया ज्ञापन

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि भाजपा विधायकों ने इस विषय में राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा जेल से लिए गए निर्णयों की समीक्षा होनी चाहिए। इसके अलावा, ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि विधानसभा में इस विषय पर खुली चर्चा की जाए।


CM Kejriwal Jail Decisions पर पारदर्शिता की मांग

प्रेसवार्ता के दौरान गुप्ता ने कहा,

“मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को यह बताना चाहिए कि उन्होंने जेल में रहते हुए अब तक कितने निर्णय लिए हैं और किन मुद्दों पर कैबिनेट बैठकों में चर्चा हुई है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह सवाल न केवल शासन की पारदर्शिता से जुड़ा है, बल्कि इससे यह भी साफ होगा कि दिल्ली सरकार जनता की समस्याओं पर ध्यान दे रही है या नहीं।


नगर निगम की बिगड़ती स्थिति पर भी चिंता

भाजपा ने केवल CM Kejriwal Jail Decisions ही नहीं, बल्कि नगर निगम की आर्थिक स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंता जाहिर की है।

गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, लेकिन इसकी बैठक नहीं हो रही है। इसके अलावा, छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन नहीं करना संविधान का उल्लंघन माना जा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले सात वर्षों से कैग की 11 रिपोर्ट पर सरकार ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।


जल बोर्ड और वित्तीय अनियमितताओं का मुद्दा

15 मार्च 2024 को दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा जल मंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितता का जिक्र था। भाजपा का आरोप है कि यह रिपोर्ट सदन में अब तक प्रस्तुत नहीं की गई है।

भाजपा के अनुसार, जल बोर्ड ने दिल्ली सरकार को ₹73,000 करोड़ का लोन वापस करने से इनकार कर दिया है, और इस पर सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए।


आयुष्मान भारत और कॉलेजों की फंडिंग

भाजपा ने यह भी सवाल उठाया कि दिल्ली सरकार ने अब तक आयुष्मान भारत योजना को लागू क्यों नहीं किया है। साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को फंड न देने का मामला भी उठाया गया है।

इन सभी मुद्दों को भाजपा ने CM Kejriwal Jail Decisions से जोड़ते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति और निर्णय न लेने की स्थिति दिल्ली की विकास योजनाओं को प्रभावित कर रही है।


खेल और शिक्षा संस्थानों पर श्वेत पत्र की मांग

भाजपा नेताओं ने दिल्ली कौशल विश्वविद्यालय, शिक्षक विश्वविद्यालय और खेल विश्वविद्यालय पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। इन संस्थानों की प्रगति, बजट और पारदर्शिता को लेकर सरकार से जवाब मांगा गया है।

इसके अलावा, सात ICU अस्पताल और पॉलिक्लिनिक के निर्माण में देरी और लागत बढ़ने का मुद्दा भी उठाया गया है।


झुग्गी-झोपड़ी योजनाओं की स्थिति पर सवाल

भाजपा ने सरकार से यह भी जानकारी मांगी है कि झुग्गियों में नल से जल उपलब्ध कराने की योजना और जहां झुग्गी वहीं मकान योजना की वर्तमान स्थिति क्या है।

इन योजनाओं की धीमी प्रगति को CM Kejriwal Jail Decisions से जोड़ते हुए कहा गया है कि नेतृत्व की कमी से विकास की गति धीमी हो गई है।


निष्कर्ष: CM Kejriwal Jail Decisions पर जवाबदेही जरूरी

CM Kejriwal Jail Decisions अब केवल राजनीतिक बहस का विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह दिल्ली की शासन व्यवस्था और पारदर्शिता पर सीधा सवाल है।

भाजपा द्वारा विधानसभा में विशेष सत्र की मांग इसलिए की जा रही है ताकि यह साफ हो सके कि जेल में रहते हुए मुख्यमंत्री द्वारा कौन-कौन से निर्णय लिए गए, और किन योजनाओं पर अमल हुआ।

जनता को जानने का हक है कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि कहां से और कैसे शासन कर रहे हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही लोकतंत्र की नींव हैं, और इन सवालों का जवाब देना सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है।

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